BUDDHIMAN KON / बूद्धिमान कौन?

नमस्कार साथियो आज हम लेकर आये हैं एक शानदार प्रेरक प्रसंग-BUDDHIMAN KON/बुद्धिमान कौन

 आज का प्रेरक प्रसंग

  ||  बुद्धिमान कौन? ||

प्राचीन काल की बात है | एक गांव में चार दोस्त रहते थे | चारों ही ब्राह्मण थे | साथ खाते, साथ पीते और साथ ही रहते थे | तीन तो खूब पढ़े लिखे थे, मगर एक अनपढ़ ही था। हालाँकि वह बुद्धिमान भी बहुत था ।

मगर अनपढ़ होने के कारण उसके अन्य तीन मित्र उसका उपहास ही उड़ाते रहते थे, लेकिन दोस्त होने के कारण बात आई-गई हो जाती थी। और वे पुरानी बातें भूल कर फिर से बातें बनाने लगते।

एक दिन चारों बातें कर रहे थे। बातों ही बातों में बात निकली कि उन चारों में से सर्वाधिक बुद्धिमान कौन है?BUDDHIMAN KON इस बात को लेकर जो बात बढ़ी तो बढ़ती ही चली गई।

अन्त में निश्चय हुआ कि वे चारों दूसरे राज्य में जाकर वहाँ के राजा को खुश करके जो धन लाएगा | वही उनमें से ज्यादा बुद्धिमान होगा।

यह निश्चय कर वे चारों दूसरे राज्य की ओर चल पड़े।

रास्ते में ये तीनों चौथे पर कोई ना कोई फिकरा छोड़ देते, मगर वह चौथा सिर्फ मुस्कुरा कर उनकी बात टाल देता।

दो दिन तक चलने के बाद चारों एक जंगल में पहुँचे।

उन्होंने जंगल में कुछ देर ठहरने का निश्चय किया |

मगर चौथा मित्र इस पर सहमत नहीं हुआ। वह बोला “दोस्तों, कुछ ही समय बाद अंधेरा हो जाएगा, अतः हमें शीघ्र से शीघ्र यहाँ से निकल चलना चाहिए।”

मगर उसके अन्य तीनों मित्रों ने उसका उपहास उड़ाकर उसे चुप कर दिया।

तभी उनमें से एक की नजर किसी मृत जानवर पर पड़ी। वह अपने दूसरे मित्रों से बोला –

“मित्रो देखो! कोई जीव यहाँ मृत अवस्था में पड़ा है, पता नहीं कौन-सा जीव है,

क्योंकि इसका चमड़ा गल गया है, शक्ल पहचान में नहीं आती।”

तीनों मित्रों ने उस तरफ देखा जहाँ जानवर की हड्डियां पड़ी थीं।

हड्डियों पर एक नजर डालने के बाद एक ने सुझाव दिया।

“क्यों नां हम अपनी विद्याओं की जाँच करें |

राजा के पास पहुँचने से पहले ही यह जाच हो जाएगी कि हममें कौन बुद्धिमान और विद्वान है।”

एक ने सलाह दी। अन्य तीनों ने उसकी सलाह मान ली।

एक अन्य ने कहा-“ठीक है, मैं इन हड्डियों को जोड़कर ढांचा तैयार कर देता हूँ।”

कहकर झट उसने हड्डियाँ विद्या जोड़कर ढाँचा तैयार कर दिया।

तब दूसरे ने ढाँचे पर माँस, चमड़ीऔर नसों में खून पैदा कर दिया और पीछे हट गया।

खाल-माँस चढ़ने पर ढाँचा शेर में परिवर्तित हो गया ।

इसी बीच चौथा जो अनपढ़ था, खामोशी से उनकी हरकतें व बातचीत सुनता रहा।

उसने उनकी बातों में दखल देना अच्छा ना समझा |

इधर दूसरे के पीछे हट जाने के बाद तीसरा आगे आया और बोला

– “तुमने इसकी हड्डियों को जोड़कर ढांचे में परिवर्तित कर दिया और

तुमने उस ढाँचे पर खालमाँस चढ़ा दी, मगर किसी में जान फेंकना सबसे बड़ी विद्या है। जो मेरे पास है |

अब देख, कैसे मैं इस जीव में जान डालता हूँ।” कहकर वह शेर में जान डालने के लिए आगे बढ़ा।

तभी चौथा व्यक्ति बोल उठा–“अरे ठहरो भैया!”

“क्यों क्या हुआ?” तीसरा झल्लाकर उसकी ओर घूमा।

“लगता है इसे डर लग रहा है।” दूसरा उपहासजनक स्वर में बोला।

“शेर से ।” पहले वाले ने शेर के पुतले की तरफ इशारा किया और तीनों हँस पड़े।

तीसरा बोला – “ओ मूर्ख! तू चुप रह, दोबारा मत बोलियो ।”

“मगर भैया, अगर यह शेर जीवित हो गया तो यह हम सबको खा जाएगा।”

चौथे ने अपने मन की मंशा को प्रकट किया।

“चुप कर मूर्ख तू तो ज्ञान को ही बेकार कर देगा, मैं तो इसे जीवित करके ही रहूँगा ।”

तीसरा घमण्ड में बोला।

तब चौथे ने सोचा कि ‘यह तो शेर को जीवित किये बिना बाज ना आएगा और शेर जीवित होते ही उन्हें मार डालेगा।

ये तो मानेंगे नहीं, अतः वह अपना बचाव तो कर ले।’

यह सोचकर वह उन तीनों से बोला-“ठीक है भैया,

जैसी तुम्हारी मर्जी, मगर जरा एक मिनट ठहर जाओ ।”

कहकर वह एक पेड़ पर जा चढ़ा।

उसे पेड़ पर चढ़ते देख वे तीनों हंस पड़े। लेकिन उसने उन तीनों की हंसी को नजर अन्दाज कर दिया और पेड़ पर बैठ गया।

तब तीसरे विद्वान ने अपनी विद्या से शेर को जीवित करने के लिए मन्त्र पढ़कर शेर पर फेंके ।

कुछ ही पलों में शेर दहाड़ता उठ खड़ा हुआ। शेर ने अपने सामने तीन-तीन प्राणियों को देखा तो उसकी जीभ में पानी आ गया।

इधर जीवित शेर को देखते ही उन तीनों की हालत पतली हो गई।

वे बहाँ से भागने की कोशिश करने लगे, मगर शेर ने उन्हें भागने का मौका नहीं दिया,

उसने एक को पंजे से मारा, दूसरे को धक्का देकर गिरा दिया और

तीसरे को सीधे दाँतों से जकड़ लिया। और कुछ ही देर में तीनों को खा गया।

फिर वह वहाँ से चला गया।

पेड़ पर बैठा चौथा ब्राह्मण नीचे उतरा और बोला-.“सबसे बड़ा बुद्धिमान कौन?

वह जो अपने द्वारा जीवित किये गये शेर द्वारा मारे गये | क्या वो जो शेर का आहार बनने से बच गया

।” कहकर वह दूसरे राज्य के राजा को खुश करने चल दिया।

शिक्षा:-

मित्रों! “यह जरूरी नहीं कि एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति ही बुद्धिमान हो सकता है |

अनपढ़-निरक्षर व्यक्ति भी किसी-न-किसी विद्या में निपुण होता है |

जिस प्रकार एक अनपढ़ ब्राह्मण ने पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचा ली और

उसके तीनों पढ़े-लिखे साथी शेर का आहार बन गए |”

सदैव प्रसन्न रहिये।

जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।

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