ALWAYS KEEP LEARNING – हमेशा सीखते रहें ।

नमस्कार साथियों – हमेशा सीखते रहें क्याेंकी जीतता वही है जो लगातार दौडता है।

कुछ ऐसी ही शिक्षा देने वाली यह एक प्रेरक प्रसंग – हमेशा सीखते रहें आज हम लेकर आये हैं आप सभी के लिए उम्मीद करता हूँ यह आपको जरुर पसन्द आयेगी।

 आज का प्रेरक प्रसंग

 !! हमेशा सीखते रहो !!

एक बार गाँव के दो व्यक्तियों ने शहर जाकर पैसे कमाने का निर्णय लिया।

शहर जाकर कुछ महीने इधर-उधर छोटा-मोटा काम कर दोनों ने कुछ पैसे जमा किये। फिर उन पैसों से अपना-अपना व्यवसाय प्रारंभ किया. दोनों का व्यवसाय चल पड़ा. दो साल में ही दोनों ने अच्छी ख़ासी तरक्की कर ली।

व्यवसाय को फलता-फूलता देख पहले व्यक्ति ने सोचा कि अब तो मेरे काम चल पड़ा है। अब तो मैं तरक्की की सीढ़ियाँ चढ़ता चला जाऊंगा। लेकिन उसकी सोच के विपरीत व्यापारिक उतार-चढ़ाव के कारण उसे उस साल अत्यधिक घाटा हुआ।

अब तक आसमान में उड़ रहा वह व्यक्ति यथार्थ के धरातल पर आ गिरा। वह उन कारणों को तलाशने लगा, जिनकी वजह से उसका व्यापार बाज़ार की मार नहीं सह पाया। सबसे पहले उसने उस दूसरे व्यक्ति के व्यवसाय की स्थिति का पता लगाया, जिसने उसके साथ ही व्यापार आरंभ किया था। वह यह जानकर हैरान रह गया कि इस उतार-चढ़ाव और मंदी के दौर में भी उसका व्यवसाय मुनाफ़े में है। उसने तुरंत उसके पास जाकर इसका कारण जानने का निर्णय लिया।

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अगले ही दिन वह दूसरे व्यक्ति के पास पहुँचा

दूसरे व्यक्ति ने उसका खूब आदर-सत्कार किया। और उसके आने का कारण पूछा। तब पहला व्यक्ति बोला, “दोस्त! इस वर्ष मेरा व्यवसाय बाज़ार की मार नहीं झेल पाया। बहुत घाटा झेलना पड़ा। तुम भी तो इसी व्यवसाय में हो। तुमने ऐसा क्या किया कि इस उतार-चढ़ाव के दौर में भी तुमने मुनाफ़ा कमाया?”

यह बात सुन दूसरा व्यक्ति बोला,

“भाई! मैं तो बस सीखता जा रहा हूँ। अपनी गलती से भी और साथ ही दूसरों की गलतियों से भी। जो समस्या सामने आती है, उसमें से भी सीख लेता हूँ। इसलिए जब दोबारा वैसी समस्या सामने आती है, तो उसका सामना अच्छे से कर पाता हूँ और उसके कारण मुझे नुकसान नहीं उठाना पड़ता. बस ये सीखने की प्रवृत्ति ही है, जो मुझे जीवन में आगे बढ़ाती जा रही है.”

दूसरे व्यक्ति की बात सुनकर पहले व्यक्ति को अपनी भूल का अहसास हुआ। सफ़लता के मद में वो अति-आत्मविश्वास से भर उठा था। और सीखना छोड़ दिया था। वह यह प्रण कर वापस लौटा कि कभी सीखना नहीं छोड़ेगा। उसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। और तरक्की की सीढ़ियाँ चढ़ता चला गया।

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शिक्षा:-

जीवन में कामयाब होना है- तो इसे पाठशाला मान हर पल सीखते रहिये। यहाँ नित नए परिवर्तन और नए विकास होते रहते हैं। यदि हम स्वयं को सर्वज्ञाता समझने की भूल करेंगे, तो जीवन की दौड़ में पिछड़ जायेंगे। क्योंकि इस दौड़ में जीतता वही है, जो लगातार दौड़ता रहता है। जिसने दौड़ना छोड़ दिया, उसकी हार निश्चित है। इसलिए सीखने की ललक खुद में बनाये रखें। फिर कोई बदलाव, कोई उतार-चढ़ाव आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता।

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सदैव प्रसन्न रहिये।

जो प्राप्त है, वही पर्याप्त है।।

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धन्यवाद।

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