कक्षा 12 भूगोल अध्याय 7 मानव व्यवसाय -प्रमुख प्रकार

कक्षा 12 भूगोल अध्याय 7 मानव व्यवसाय – प्रमुख प्रकार

अध्ययन बिन्दु–

व्यवसाय क्या है

व्यवसाय का विकास कैसे हुआ

व्यवसाय का वर्गीकरण

आर्थिक क्रियाएं–   वे सभी क्रियाकलाप जिन से मानव को धन की प्राप्ति होती है आर्थिक क्रियाएं कहलाती हैं। आर्थिक क्रियाओं पर वातावरण का प्रभाव पड़ता है।

जैसे जंगलों में–     एकत्रीकरण

घास क्षेत्रों में—-     पशु चारण

उपजाऊ मैदानों में–   कृषि

शहरी क्षेत्रों में–       व्यापार, परिवहन, बैंकिंग व सेवा क्षेत्र

व्यवसाय–   मनुष्य द्वारा अपने जीवन यापन के लिए की जाने वाली आर्थिक क्रिया ही व्यवसाय कहलाती हैं

मानव व्यवसायों का विकास एवं बदलती प्रकृति–  अध्ययन की दृष्टि से इसे निम्नलिखित चार कालों में बाँटा गया है—

प्रागैतिहासिक काल–  मानव जंगलों में घुमक्कड़ जीवन जीता था तथा अस्थायी आवासों(तम्बुओं) में रहता था।

संग्रहण- कंद- मूल, फल

शिकार–  जानवरों का शिकार करता था शिकार नुकीले पत्थरों व लकड़ी के डंडों से करता था शिकार में सहायक जानवर कुत्ता था

पशुपालन —  उपयोगी जानवरों को पालने लगा इनसे दूध, दही, मास, चमड़ा प्राप्त होने लगा

कृषि–  झूमिंग कृषि करने लगा, उपयोगी पौधों के बीजों को बोकर उसने खेती करना प्रारंभ कर दिया

सुरक्षा–  फसलों व पालतू जानवरों की देखभाल व सुरक्षा के लिए  पौधों की टहनियों,  पत्तियों व जानवरों की खाल की झोपड़ी बनाकर रहने लगा

नवपाषाण काल

पहिए का आविष्कार हो गया

मिट्टी के बर्तन बनाने लगा

प्राचीन काल–   मानव स्थाई निवास करने लगा।

कृषि-  हल व बैल की सहायता से करने लगा और सिंचाई भी करने लगा

लोहे तांबे व कांसे के बर्तन बनाने लगा हथियार औजार बनाने लगा

कुटीर उद्योग भी करने लगा

नगर नियोजन व भवन निर्माण–   सिंधु नदीघाटी में मोहनजोदड़ो  व हड़प्पा मिस्र के पिरामिड आदि

मध्यकाल (600 ईस्वी से 1500 ईस्वी)

व्यवसाय में विविधता बढी,

बड़े बड़े नगरों का विकास हुआ

व्यापार, शिक्षा आदि का प्रसार हुआ

वस्तु विनिमय से व्यापार होने लगा

भारत विश्व का प्रतिनिधित्व करने लगा

आधुनिक काल – (15 वीं सदी से वर्तमान)

इस काल में मनुष्य के व्यवसाय तकनीकी विकास के कारण अपने चरमोत्कर्ष तक पहुँच गये।

औद्योगिक क्रान्ति –  स्वचालित मशीनें से उत्पादन मे वृद्धि

कृषि-  उन्नत बीज,  कीटनाशकों का प्रयोग,  स्वचालित यंत्रों का प्रयोग 

खनन — खनिजों का खनन वैज्ञानिक रीति से होने लगा

खोज व आविष्कार

इस काल में मानव प्राथमिक व्यवसायों की तुलना में द्वितीयक, तृतीयक, चतुर्थक और पंचम व्यवसायों की ओर अग्रसर हुआ।

मानव व्यवसायों का वर्गीकरण

प्राकृतिक संसाधनों से सतत दूरी के आधार पर —   पांच प्रकार के हैं–

1-प्राथमिक व्यवसाय

2-द्वितीयक व्यवसाय

3-तृतीयक व्यवसाय

4-चतुर्थक व्यवसाय

5-पंचम व्यवसाय

प्राथमिक व्यवसाय–  ऐसे व्यवसाय जिनमें मनुष्य प्राकृतिक संसाधनों का सीधा उपयोग करके अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है, प्राथमिक व्यवसाय कहलाते हैं इस व्यवसाय में भोजन व कच्चे माल का उत्पादन होता है इस में काम करने वाले लोगों को रेड कालर वर्कर कहते हैं

प्रमुख प्राथमिक व्यवसाय

आखेट

संग्रहण

कृषि

पशुपालन

मछली पालन

लकड़ी काटना

खनन

प्राथमिक व्यवसायों का निर्धारण

प्राथमिक व्यवसायों का निर्धारण प्राकृतिक या भौगोलिक संसाधनों द्वारा होता है

 जैसे घास क्षेत्र — पशु चारण

 मैदानी क्षेत्र—  में कृषि

 वन क्षेत्र —  आखेट व संग्रहण आदि

प्रमुख क्षेत्र

  1. उष्णकटिबंधीय प्रदेश
  2. विषुवतरेखीय आर्द्रवन(अमेजन बेसिन , काँगों बेसिन)

ब- उष्णकटिबन्धीय आर्द्र कृषि प्रदेश( पूर्वी भारत, पूर्वी ब्राजील)

स –मरूस्थल (सहारा, अरब, थार, मंगोलिया, प. आस्ट्रेलिया, कालाहारी)

  2-शीतोष्ण कटिबंधीय प्रदेश

  • शीतोष्ण घास प्रदेश( प्रेयरी-USA, स्टेपी- मध्य एशिया)

ब- भूमध्यसागरीय तुल्य प्रदेश

  3 शीत प्रदेश-

  • शीतल वन( टैगा,)

ब- टूण्ड्रा प्रदेश

स- ऊँचे पर्वत

 विश्व वितरण – – –

विश्व में प्राथमिक व्यवसायों में संलग्न लोगों का वितरण असमान है विकासशील देशों में अधिकाँश लोग प्राथमिक व्यवसाय से जुड़े हुए होते हैं जबकि विकसित देशों में बहुत कम( केवल 5%) लोग ही प्राथमिक व्यवसाय से जुड़े हुए होते हैं कनाडा इसका अपवाद है जोकि लकड़ी काटने और पेट्रोलियम खनन के आधार पर विकसित देशों की श्रेणी में शामिल हुआ है

द्वितीयक व्यवसाय

ऐसे व्यवसाय जिनमें प्राथमिक व्यवसाय के उत्पादों को परिष्कृत एवं परिवर्तित करके अधिक उपयोगी व अधिक मूल्यवान बनाया जाता है द्वितीयक व्यवसाय कहलाते हैं इनमें विनिर्माण(manufacturing) प्रसंस्करण(processing) एवं निर्माण(construction) की क्रिया शामिल हैं इनमें संलग्न लोगों को blue-collar वर्कर कहते हैं

विनिर्माण–  उत्पादों का निर्माण( मशीनों के पार्टस, मानव उपयेगी वस्तुएं)

प्रसंस्करण- खाद्य पदार्थों का उत्पादन( बिस्किट, नमकीन, चिप्स दुग्ध उत्पाद)

निर्माण-  भवन, पुल, सडक

उदाहरण-  लौह अयस्क से इस्पात

          गेहूँ से आटा

          कपास से सूती वस्त्र        गन्ने से चीनी

प्रमुख द्वितीयक व्यवसाय

  • इंजीनियरिंग उद्योग
  • निर्माण उद्योग
  • इलेक्ट्रॉनिक उद्योग
  • रासायनिक उद्योग
  • ऊर्जा उद्योग वस्त्र उद्योग
  • भोजन एवं पेय पदार्थ
  • धातु कर्म उद्योग
  • प्लास्टिक उद्योग
  • परिवहन एवं संचार उद्योग

निर्धारित करने वाले कारक

कच्चा माल, शक्ति के संसाधन, परिवहन एवं संचार सुविधाएं, पूंजी,    
बाजार, सरकारी नीति, श्रम, प्रौद्योगिकी नवाचार    

प्राकृतिक संसाधन एवं सांस्कृतिक संसाधन

                             सेवा क्षेत्र

तृतीयक व्यवसाय      चतुर्थ व्यवसाय        पंचम व्यवसाय

तृतीयक व्यवसाय

इन व्यवसायियों में समुदायों (लोगों) को दी जाने वाली व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक प्रत्यक्ष सेवाएं शामिल हैं इसे सेवा श्रेणी व्यवसाय भी कहते हैं इनमें संलग्न लोगों को PINK COLLER WORKERS कहते हैं इन्हें मूर्त वस्तुओं के उत्पादन के बजाय सेवाओं का व्यावसायिक उत्पादन होता है

तृतीयक व्यवसाय में निम्न व्यवसाय सम्मिलित किए जाते हैं

परिवहन

व्यापार व वाणिज्य

संचार,

सेवाएं (बैंक बीमा पर्यटन इत्यादि)

इन इन व्यवसायों उत्पादन व विनिमय दोनों शामिल है  उत्पादन में  सेवाओं की उपलब्धता शामिल है

जैसे नलसाज, बिजली मिस्त्री, दुकानदार, डॉक्टर, वकील आदि

विनिमय के अंतर्गत परिवहन व्यापार व संचार की सुविधाएं सम्मिलित होती हैं जिनका उपयोग दूरी को निष्प्रभावी करने के लिए किया जाता है

चतुर्थक व्यवसाय —   जीन गोटमैन ने अप्रत्यक्ष सेवाओं को चतुर्थक व्यवसाय की श्रेणी में शामिल किया है। इनमें कार्यरत लोगों का WHITE COLLER WORKER कहते हैं। विकसित अर्थव्यवस्थाओं में आधे से ज्यादा कर्मी ज्ञान के इस क्षेत्र में कार्यरत हैं सूचना आधारित एवं अनुसंधान व विकास आधारित सेवाएं इस वर्ग से संबंध रखते हैं

जैसे-  कार्यालय भवनों, शिक्षण संस्थाओं, अस्पतालों,  रंगमंच और लेखा कार्य और दलाली की फर्मों में काम करने वाले कर्मचारी अप्रत्यक्ष वर्ग की सेवाओं से संबंध रखते हैं

पंचम व्यवसाय

 नवीन और वर्तमान विचारों की रचना व उनके पुनर्गठन की व्याख्या, आंकड़ों की व्याख्या व प्रयोग तथा नई प्रौद्योगिकी के मूल्यांकन पर केंद्रित होती हैं यह व्यवसाय भी तृतीयक व्यवसाय का ही एक उप विभाग है जिसमें विषय विशेषज्ञ निर्णयकर्ता, परामर्शदाता व नीति निर्धारक लोगों को शामिल किया जाता है इसमें शामिल लोगों को GOLD COLLER WWORKER कहते हैं।

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